जय नारायण, जय पुरुषोत्तम (विष्णु स्तुति)
Poet: Unknown
Devanagari Transliteration: Vishal Kachroo
English Translation: In the Video
जय नारायण जय पुरुषोत्तम
जय वामन कंसारे
उद्धर मामसुरेश विनाशन् पतितोहं संसारे
घोरं हर मम नरकरिपो
केश्व कल्मष भारम्
मां अनुकम्पय दीनं अनाथं
कुरुभव सागर पारम्
जय जय देव, जया सुर सूदन,
जय केशव, जय विष्णो,
जय लक्ष्मी मुख कमल मधुव्रत,
जय दश कन्धर जिष्णो
घोरं हर मम नरकरिपो
केश्व कल्मष भारम्
यद्यपि सकलं अहं कलयामि हरे,
नहि किमपि-सत्वम्
तदपि न मुज्चति मामिदं
अच्युत पुत्र कलत्र ममत्वं
घोरं हर मम नरकरिपो
केश्व कल्मष भारम्
पुनर्अपि जननं पुनर्अपि मरणं,
पुनर्अपि गर्भनिवासम्
सोढुम अलं पुनर् अस्मिन्
माधव माम् उद्धर निजदासम्
घोरं हर ममनरकरिपो
केश्व कल्मष भारम्
त्वं जननी जनकः प्रभुर् अच्युत
त्वं सुहृत् कुलमित्रम्, त्वं शरणं
शरणागत वत्सल, त्वं भव जलधि वहित्रम्
घोरं हर मम नरकरिपो
केश्व कल्मष भारम्
जनक सुतापति चरण परायण
शंकर मुनिवर गीतं
धारय मनसि कृष्ण पुरुषोत्तम,
वारय संसृति भीतिम्
घोरं हर मम नरकरिपो
केश्व कल्मष भारम्
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